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दिनांक 20 फरवरी 2023 को मदरहुड विश्वविद्यालय, रूड़की के शिक्षा संकाय में चल रहे पाँच दिवसीय फैकल्टी डवलपमैन्ट प्रोग्राम का भव्य समापन किया गया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशो के अनेकों प्रबद्धयजनों का रहना हुआ।
कार्यक्रम की मुख्य संरचना में शिक्षा संकाय अधिष्ठाता प्रो०(डॉ)बबीता सिंह के साथ डॉ० संदीप कुमार, राजीव गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय अरूणाचल प्रदेश, प्रो०संतोष कुमार त्रिपाठी, सरस्वती इन्सटीयूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी रूद्रपुर, प्रो०आर०के० श्रीवास्तव पूर्व डीन हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्याल श्रीनगर, प्रो०एस०सी० पचौरी निदेशक सुभारती विश्वविद्यालय देहरादून, प्रो०सीमा धवन कैम्पस हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्याल श्रीनगर का रहना हुआ। पाँच दिवसीय के इस फैकल्टी डवलपमैन्ट प्रोग्राम में सभी शिक्षाविद्धों ने रिसर्च मैथडोलोजी विषय पर अपने-अपने विचारो के द्वारा भारत की विकासगति को बढ़ाने के प्रयासों पर अपना-अपना मत प्रस्तुत किया।
इस क्रम में डॉ संदीप कुमार राजीव गाधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने शिक्षा और समाज के विकास के लिए शोध को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि शोध से संबंधित आंकडो को ईमानदारी पूर्वक संग्रहित किया जाना चाहिये एवं विश्लेषण में नई तकनीक का प्रयोग करना चाहिये।  सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड टेक्नोलोजी के प्राचार्य प्रो० संतोष कुमार त्रिपाठी जी ने शोध मे नैतिकता पर बल दिया और कहा कि आज शोध से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ हमारी उगलियों पर है किन्तु साहित्यिक चोरी को रोकना महत्वपूर्ण है क्योकि इससे मौलिकता और बौद्धिक सम्पदा अधिकार दोनो का हनन होता है। हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्याल श्रीनगर के पूर्व डीन प्रोे०(डॉ०) आर०के०श्रीवास्तव जी ने शोध में सांख्यिकी के प्रयोग पर बल दिया और कहा कि परिकल्पनाओं का निर्माण सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिये जिससे शोध के सही परिणाम प्राप्त हो सकें। आपका मत है कि शिक्षा ऑनलाइन एवं ऑफ लाइन का मिला जुला रूप (ठसमदकमक) होना चाहिये क्योकि अन्तरू क्रिया शिक्षण की आत्मा है देहरादून से प्रो०(डॉ०)एस०सी० पचौरी निदेशक रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय ने कहा कि शोधार्थियों को अपने शोध पत्र अर्न्तराष्ट्रीय माप दण्डो को ध्यान में रख कर लिखना चाहियें और अपने शोध प्रारूप को ध्यान से बनाना चाहिये क्योकि यह शोध का रोड मैप होती है। हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्रो०(डॉ०)सीमा धवन जी ने पावर पॉइंट प्रजेन्टेशन(पीपीटी) के माध्यम से क्रियात्मक शोध की उपयोगिता एवं महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान द्वारा तत्कालीन शैक्षिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है। विश्वविद्यालयी एवं विद्यालयी शिक्षा मे क्रियात्मक अनुसंधान को अधिकतम बढावा दिया जाना चाहिये जिससे शैक्षिक समस्याओं का पहचाना एवं दूर किया जा सकें । मदरहुड विश्वविद्यालय रूडकी के कुलपति महोदय प्रो0(डॉ)नरेन्द्र शर्मा  ने कहा नवीन शिक्षा नीति को ध्यान मे रखते हुए रिसर्च मैथडोलोजी को समझने और इससे अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए ऐसे कार्यक्रमो का होना अति आवश्यक बतलाया। रिसर्च केवल किताबी ने रह जाये ये परिणाम आधारित हो इसके लिये शिक्षको को भी सामयिक ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे पाकर वह आगे उसका प्रयास कर सके कार्यक्रम में देश के विभिन्न शिक्षको ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ०एन०के०यादव एवं शैक्षिणिक निदेशक प्रो०(डॉ०) विनय कुमार सिंह द्वारा सभी आमंत्रित मेहमानो को रिसर्च से जुडे तत्थ्यों एवं विश्वविद्याल मंे शिक्षको की रिसर्च सम्बन्धित समस्याओं के समाधानो हेतु उपाय के लिये धन्यवाद दिया। समापन सत्र में शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो०(डॉ) बबीता सिहं ने सभी आगन्तुको का आभार व्यक्त किया एवं कार्यक्रम से जुडे शिक्षका,े विद्यायार्थियों और  शोधार्थियों का भी धन्यवाद दिया। कर्याक्रम का संचालन एवम् व्यवस्था में शिक्षा संकाय के ले०(डॉ०) संतोष कुमार शर्मा, डॉ ओपी शर्मा, डॉ कुलदीप कुमार, डॉ पंकज कुमार, डॉ बिमला पाण्डेय, श्रीमती सुजाता भारती, श्रीमती प्रियंका रानी, श्रीमती साक्षी गुप्ता, सुश्री शिवानी शर्मा आदि का सहयोग सरहानीय है ।